पिछले कई दिनों से देश मे लगातार बागेश्वर धाम की चर्चा हो रही है। मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक, बूढ़े से लेकर जवान तक सभी में बागेश्वर धाम के पीठाधीश धीरेंद्र शास्त्री का नाम छाया हुआ है। सभी लोग धीरेंद्र शास्त्री जी के बारे में जानना चाहते है, आखिर क्या है बागेश्वर धाम में जहां धीरेंद्र शास्त्री इतना बड़ा चमत्कार कर रहे है। आइए जानते है बागेश्वर धाम और धीरेंद्र शास्त्री के बारे में कुछ अनकही बातें…
कहां है बागेश्वर धाम
मध्यप्रदेश के छतरपुर से खजुराहो की ओर फोर लेन (Four Lane) रास्ते पर करीब पंद्रह किलोमीटर (15 km) चलने के बाद बाएं हाथ पर एक रास्ता कटता है, जो गढा गांव की ओर जाता है। रास्ते पर लगे बोर्ड और होर्डिंग्स से ही अंदाजा हो जाता है कि ये रास्ता कोई आम रास्ता नहीं है। रिक्शा ड्राइवरों द्वारा सिर्फ एक नाम सुनाई देता है…. बागेश्वर धाम, बागेश्वर धाम और बागेश्वर धाम…..।
उबड़-खाबड़ और टूटे-फूटे गड्ढों से भरे रस्ते पर दो किलोमीटर (2km) चलने के बाद गढा गांव आता है। इसी गढा गांव के दूसरे छोर पर एक छोटी सी पहाड़ी है और यहीं पर स्थित हैं बागेश्वर धाम। पहाड़ी पर चढ़ने के बाद दो छोटे छोटे मंदिर नजर आएंगे, इनमें से एक है भगवान बागेश्वर महाराज यानी शंकर जी की छोटी सी मढिया।
क्यों पड़ा इसका नाम बागेश्वर धाम
इसके बागेश्वर धाम नाम पड़ने के पीछे की कहानी बड़ी ही रुचिकर है। यहां पहाड़ के आसपास घना जंगल था, जिसमें बाघ घूमते थे इसलिए इसे बाघेश्वर कहते थे जो अब बागेश्वर बोला जाने लगा है। महादेव की के मढिया के पास बालाजी धाम हनुमान जी महाराज का नया मंदिर बना है। बागेश्वर धाम पीठाधीस धीरेंद्र शास्त्री, इन्हीं बालाजी के उपासक हैं आज लोगों के मुताबिक उनको इन्हीं की सिद्धि मिली है।
अद्भुत है बागेश्वर धाम का नजार
इसी बालाजी के मंदिर से सट कर ही लगा है एक बड़ा सा पेड़, जिससे चिपट कर लोग चीखते चिल्लाते रहते हैं। लोगों के मुताबिक ये लोग प्रेत बाधा से ग्रसित लोग होते है, जो मंगलवार और शनिवार को आते हैं। ऐसा कहा जाता है इस पेड़ में सकारात्मक शक्ति (Positive Energy) है और उसे छूकर या उससे चिपट कर इन लोगों के दिमाग पर छाई नकारात्मक शक्ति (Negative Energy) दूर हो जाती है। इसी के आसपास बैरिकेड लगाई गई है जिसमें (बैरिकेड) पर ही काले, लाल और पीले रंग की पोटलियां बंधी हुईं हैं, इन पोटलियों में अलग-अलग फरमाइशें या श्रद्धालुओं की मन्नतें हैं। काले में प्रेत बाधा से मुक्ति तो पीले में शादी ब्याह की मन्नत तो लाल में सामान्य कामकाज करवाने की अर्जी.
पुरोहिताई से चमत्कारी बने आचार्य धीरेंद्र शास्त्री
बागेश्वर धाम से ज्यादा प्रख्यात है वहां के पीठाधीश धीरेंद्र शास्त्री। धीरेंद्र शास्त्री के प्रारंभिक जीवन की बात करे तो यह बेहद ही सामान्य था। इनके परिवार में पुरोहिताई का काम होता था। धीरेंद्र शास्त्री के दादा भी यही काम करते थे यानी कि पर्चा पर कुछ लिखकर भूत भविष्य बताने का काम। शुरुआती दिनों की छोटी मोटी पुरोहिताई के बाद धीरेंद्र शास्त्री रामकथा करने लगे। इस बीच कुछ कथित सिद्धियों के चलते उनकी तरफ से बताई गईं बातें सच होने लगीं तो उनका दरबार बड़ा होता गया। कोरोना काल के दौरान सोशल मीडिया ने इन्हे और ही विख्यात कर दिया। लोगों ने घर बैठे खूब कथा सुनी, लाइव प्रसारण देखा और यू-टयूब ने उन्हें देशभर में पहुंचा दिया। बस फिर क्या था महाराज की ठेठ बुंदेली बोली, उनका लड़कपन, बोलचाल की अदा और अपने बालाजी पर अटूट भरोसे ने ही उनको पिछले दो साल में ही भारी लोकप्रिय कर दिया। इसके साथ ही धीरेंद्र शास्त्री चमत्कारी बाबा के रूप में जाने जाने लगे।
कहां मिलते है आचार्य धीरेंद्र शास्त्री
मंदिरों के दर्शन करने के बाद नीचे उतरते हैं तो वहीं वो स्थान आता है जहां धीरेंद्र शास्त्री सभी लोगों से मिलते है। ये स्थान पहाड़ी के ठीक नीचे दो मंजिला इमारत गांव की पंचायत का सामुदायिक भवन है, जिसमें धीरेंद्र ने लोगों से मिलने और उनके सहूलियत का ठिकाना बना लिया है। जिसे मिलना होता है उससे धीरेंद्र शास्त्री टोकन व्यवस्था की मदद से समय देकर मिलते भी है।