आज यानी 25 दिसंबर को स्वर्गीय पूर्व प्रधानमंत्री और ओजस्वी वक्ता श्री अटल बिहारी वाजपेई की जयंती है। जिसे हम सुशासन दिवस के रूप में मनाते है। आज इस खास अवसर हम आपको अटल जी के उस प्रेम कहानी को बताने वाले है, जो अधूरी थी, अनकही थी, जिसका कोई नाम न था।
मोहब्बत एक ऐसा रास्ता है जिसकी शुरुआत बेहद ही रूहानी और खूबसूरत होती है, लेकिन इसका सफर उतना ही कांटो भरा होता है। बहुत कम ही प्रेम कहानियां अपने मंजिल तक पहुंचती है, नही तो ज्यादा प्रेम कहानियां रास्ते में ही दम तोड देती है। एक ऐसी ही प्रेम कहानी है पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई की, जिन्होंने एक ऐसी मोहबब्त की जो इतिहास के पन्नो में दर्ज हो गई लेकिन लेकिन कभी उसको कोई नाम न दिया जा सका। विख्यात पत्रकार कुलदीप नैयर ने लिखा है कि,” ये देश के राजनीतिक हलके में घटी सबसे महान प्रेम कहानी थी।”
कालेज में हुआ था प्यार
अटल जी के प्रेम कहानी की शुरुआत 40 के दशक में होती है, जब अटल ग्वालियर में विक्टोरिया कॉलेज (अब लक्ष्मीबाई कॉलेज) में पढ़ रहे थे। यह दौर ऐसा था जब ना ही मोबाइल होता था और ना ही लड़का लड़की का आपस में बात करना अच्छा माना जाता थे। बातें सिर्फ आंखों ही आंखों में होती थीं। इसी दौर में अटल को उसी कालेज में पढ़ रही राजकुमारी कौल से मोहब्बत हो गई और अटल भी प्रेम के इस राह पर कदम बढ़ाने की हिम्मत की।
अटल ने कौल के लिए लिखा प्रेम पत्र
अटल को राजकुमारी से प्यार उस दौर में हुआ था जब प्यार के पंछी लफ्जों में नहीं बल्कि इशारों में बातें करते थे। आंखों ही आखों में दिल के जज्बातों को बयां किया जाता था। ऐसी स्थिति में अटल ने अपने प्यार का इजहार करने के लिए कौल के लिए प्रेम पत्र लिखा लेकिन राजकुमारी कौल की ओर से कोई जवाब नहीं आया तो अटल निराश हो गए। लेकिन हकीकत तो यह थी कि उस प्रेम पत्र राजकुमारी कौल ने जवाब दिया था लेकिन वो अटल के पास पहुंच ही नहीं सका।
अटल बिहारी के ऊपर लिखी गई किताब “अटल बिहारी वाजपेयीः ए मैन ऑफ आल सीजंस” में वाजपेयी की जिंदगी के बारे में खुलासे करते हुए किताब के लेखक किंशुक नाग ने लिखा कि राजकुमारी के सरकारी अधिकारी पिता ने उनकी शादी एक कॉलेज टीचर ब्रिज नारायण कौल से कर दी। किताब के अनुसार राजकुमारी कौल अटल जी से शादी करना चाहती थीं, लेकिन घर में इसका जबरदस्त विरोध हुआ। हालांकि अटल ब्राह्मण थे लेकिन कौल अपने को कहीं बेहतर कुल का मानते थे।
हालांकि इस रिश्ते से टूटने से अटल बहुत निराश हुए। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अटल इस रिश्ते के टूटने से इतने दुखी थे कि उन्होंने कभी शादी ही नहीं की। इसके बाद अटल ने अपना जीवन संघ सेवा और राजनीति में लगा दिया और वक्त के बढ़ने के साथ-साथ वो राजनीति में नए-नए कीर्तिमान गढ़ रहे लगे। लेकिन कहीं न कहीं अब भी अटल ने अपने उस खूबसूरत प्रेम को नहीं भूले थे।
किस्मत ने फिर कराई मुलाकात
अटल और राजकुमारी कौल अपने अपने दुनिया में आगे बढ़ चुके थे लेकिन उनकी चाहत आज भी कायम थी। एक दूसरे के लिए वो आज भी जिंदा था और किस्मत ने उन दोनों को एक मोड़ पर फिर मिला दिया।करीब डेढ़ दशक बाद अटल और राजकुमारी दोबारा मिले, जब अटल सांसद हो गए और राजकुमारी दिल्ली आ गईं। उनके पति दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कॉलेज में फिलॉस्फी के प्रोफेसर थे।
जिस कालेज में कौल के पति पढ़ाते थे, वहां अटल को भाषण देने के लिए अनुरोध किया गया। अटल का भाषण सुनने राजकुमारी भी कॉलेज आईं थीं। यहीं एक लंबे अरसे के बाद उन लोगो की दुबारा मुलाकात हुई और अटल के प्रधानमंत्री बनने पर वो सब उसी दिल्ली में बड़े सरकारी घर में साथ रहने लगे।
इस प्यार को क्या नाम दूं
हिंदुस्तान की राजनीति में शायद पहले ऐसा कभी नहीं हुआ होगा कि प्रधानमंत्री के सरकारी आवास में ऐसी शख्सियत रह रही हो जिसे प्रोटोकॉल में कोई जगह न दी गई हो लेकिन उसकी उपस्थिति सबको मंजूर हो। उस दौर के बड़े बड़े पत्रकार और लेखकों ने अटल जी का इंटरव्यू लिया, उन पर किताबें लिखी लेकिन अटल और कौल का रिश्ता इतना पवित्र था कि ना ही कोई पत्रकार और न ही विपक्षी पार्टी ने इस पर सवाल उठाया।
साल 2014 में एक ऐसा दिन आया जब राजकुमारी इस दुनिया को अलविदा कह दी और इसी के साथ अट और राजकुमारी की अधरी प्रेम कहानी भी खत्म हो गई। चार साल बाद अटल भी इस दुनिया को छोड़कर अपने प्रियतमा के पास चल बसे।